लैटिन भाषा : Allium Sativum.
Family : Liliaceae
English : Garlic मराठी : लसूण
Gujrati : लसन फारसी : सीर
संस्कृत : लशुन बंगला : रशुन
हिंदी : लहसन , लहसुन
परिचय
लहसुन भारत के जयादातर प्रान्तों में पैदा होता है| इसको नवम्बर के माह में रोपते हैं परन्तु इसकी फसल अप्रैल और मई में तेयार होती है इसके पत्ते लम्बे पत्तले और चपटे होते हैं |जड़ से पत्तों के मध्य एक लम्बी से पतली सी डंडी निकलती है|जिसपर फूल गुच्छा के रूप में लगते हैं |इसके कंद में कई जावा होते है जो प्राय कुते के नाखून की तरह होते है |और इसी जावा से इसकी रोपण किआ जाता है |इसमें एक प्रकार की दुर्गन्ध आती है और इसी बजाह से जयादातर लोग इसे तामसिक समझकर इसका सेवन नहीं करते हैं|
रसायनिक संगठन
इसमें बादामी रंग का एक उड़नशील तेल होता है इसमें मुख्य रूप से ओलिल ट्राई- सल्फाईड, अलील प्रापिल डाइ- सल्फाईड एंव पाली- सल्फाईड आदि एनी अनेक तत्व पायें जाते हैं
गुण : सिन्ग्ध,गुरु | रस : अम्ल रस छोडकर शेष पांचो रस
वीर्य : उष्ण विपाक : कटु
प्रयोग
लहसुन बहुत उपयोगी है रोज दिनचर्या में इसे गरीबों की कस्तुरी भी कहा जाता है इसका रूप विशेष रूप से वात विकार और पाचन जैसी समस्याओं में किआ जाता है| जोड़ों के दर्द के लिए लहसुन को सरसों तेल से सिद्ध करके तेयार किआ जाता है| लहसुन नियमित रूप से सेवन करने से खून का गाढ़ा होना कम होता है इससे शरीर में कोलेस्ट्रोल का लेवल भी ठीक रहता है इसका सेवन शेहद के साथ भी किआ जा सकता है| खाली पेट सेवन करने से मन्दाग्नि को भी ये तीव्र करता है जिससे भूख और प्यास दोनों बढते हैं| गठिया में लहसुन का मुरब्बा बहुत ही फायदेमंद रहता है |पेट में गैस होने पर लहसुन की चटनी बहुत फायदा करती है|मोच आने पर लहसुन के जबे को पीसकर गरम करके बांधने से बहुत आराम मिलता है |लहसुन से वातनाशक तेल तेयार किआ जाता है जो मैं आपको नए आर्टिकल में बताउंगी,किस तरह से लहसुन हमारे सरे जोड़ों के दर्द हर लेता है |